सरदार वल्लभ भाई पटेल के अनमोल विचार (Sardar Vallabhbhai Patel Quotes)
हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के रूप में मनाया जाता है. सरदार पटेल की जयंती के मौके पर आज उनको पूरा देश याद कर रहा है. पटेल पेशे से वकील थे. उन्होंने ने ही 562 देशी रियासतों का भारत में विलय करवाया था. भारत को एक राष्ट्र बनाने में वल्लभ भाई पटेल की खास भूमिका है. सरदार पटेल के विचार आज भी लाखों लोगों को प्ररित करते हैं. उनके विचारों को अपना कर युवाओं का जीवन बदल सकता है. आइये जानते हैं सरदार वल्लभ भाई पटेल के अनमोल विचारों के बारे में..
सरदार वल्लभ भाई पटेल के अनमोल विचार (Sardar Vallabhbhai Patel Quotes
"इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है."
"आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए."
"शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है. विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं."
"मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए. लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा. कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा.
"आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये."
"अधिकार मनुष्य को तब तक अंधा बनाये रखेंगे, जब तक मनुष्य उस अधिकार को प्राप्त करने हेतु मूल्य न चुका दे."
"आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए."
“मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे.”
“जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पांत के ऊँच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए.”
“संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है. मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता.”
"इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है."
"आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए."
"शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है.
"मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा।"
"शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है। विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।"
"आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये।"
"ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, उनके साथ अक्सर मैं हंसी-मजाक करता हूँ। जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमयी छाया से दूर रह सकता है जो इंसान के माथे पर चिंता की रेखाएं छोड़ जाती है।"
"जीवन की डोर तो ईश्वर के हाथ में है, इसलिए चिंता की कोई बात हो ही नहीं सकती।"
"इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।"
"काम करने में तो मजा ही तब आता है, जब उसमे मुसीबत होती है मुसीबत में काम करना बहादुरों का काम है मर्दों का काम है कायर तो मुसीबतों से डरते हैं लेकिन हम कायर नहीं हैं, हमें मुसीबतों से डरना नहीं चाहिये।"
"यह हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह यह अनुभव करे की उसका देश स्वतंत्र है और उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्तव्य है। हर एक भारतीय को अब यह भूल जाना चाहिए कि वह एक राजपूत है, एक सिख या जाट है। उसे यह याद होना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसे इस देश में हर अधिकार है पर कुछ जिम्मेदारियां भी हैं।"
"यहाँ तक कि यदि हम हज़ारों की दौलत गवां दें, और हमारा जीवन बलिदान हो जाए, हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर एवं सत्य में विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए।"
"स्वतंत्र भारत में कोई भी भूख से नहीं मरेगा। अनाज निर्यात नहीं किया जायेगा। कपड़ों का आयात नहीं किया जाएगा। इसके नेता ना विदेशी भाषा का प्रयोग करेंगे ना किसी दूरस्थ स्थान, समुद्र स्तर से 7000 फुट ऊपर से शासन करेंगे। इसके सैन्य खर्च भारी नहीं होंगे। इसकी सेना अपने ही लोगों या किसी और की भूमि को अधीन नहीं करेगी। इसके सबसे अच्छे वेतन पाने वाले अधिकारी इसके सबसे कम वेतन पाने वाले सेवकों से बहुत ज्यादा नहीं कमाएंगे, और यहाँ न्याय पाना ना खर्चीला होगा ना कठिन होगा।"
"बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गालियाँ देना तो कायरों का काम है।"
"बेशक कर्म पूजा है किन्तु हास्य जीवन है। जो कोई भी अपना जीवन बहुत गंभीरता से लेता है उसे एक तुच्छ जीवन के लिए तैयार रहना चाहिए। जो कोई भी सुख और दुःख का समान रूप से स्वागत करता है वास्तव में वही सबसे अच्छी तरह से जीता है।"
"कठिन समय में कायर बहाना ढूंढ़ते हैं बहादुर व्यक्ति रास्ता खोजते हैं।"
"जीवन में सब कुछ एक दिन में नहीं हो जाता है।"
"उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिये।"
"हमें अपमान सहना सीखना चाहिए।"
"हर इंसान सम्मान के योग्य है, जितना उसे ऊपर सम्मान चाहिए उतना ही उसे नीचे गिरने का डर नहीं होना चाहिए।"
"अविश्वास भय का कारण है।"
"मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।"
"एकता के बिना जनशक्ति, शक्ति नहीं है जब तक उसे ठीक ढंग से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए, और तब यह आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है।"
"चर्चिल से कहो कि भारत को बचाने से पहले इंग्लैंड को बचाए।"
"जो तलवार चलाना जानते हुए भी तलवार को म्यान में रखता है, उसी की अहिंसा सच्ची अहिंसा कही जाएगी. कायरों की अहिंसा का मूल्य ही क्या. और जब तक अहिंसा को स्वीकार नहीं जाता, तब तक शांति कहाँ!"
"कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति सदैव आशावान रहता है।"
"जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पांत के ऊँच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।"
"कठिनाई दूर करने का प्रयत्न ही न हो तो कठिनाई कैसे मिटे। इसे देखते ही हाथ-पैर बाँधकर बैठ जाना और उसे दूर करने का कोई भी प्रयास न करना निरी कायरता है।"
"कल किये जानेवाले कर्म का विचार करते-करते आज का कर्म भी बिगड़ जाएगा। और आज के कर्म के बिना कल का कर्म भी नहीं होगा, अतः आज का कर्म कर लिया जाये तो कल का कर्म स्वत: हो जाएगा।"
"भगवान किसी को दूसरे के दोषों का धनद नहीं देता, हर व्यक्ति अपने ही दोषों से दुखी होता है।"
"अधिकार मनुष्य को अँधा बना देता है। इसे हजम करने के लिए जब तक पूरा मूल्य न चुकाया जाये, तब तक मिले हुए अधिकारों को भी हम गंवा बैठेंगे।"
"जो व्यक्ति अपना दोष जनता है उसे स्वीकार करता है, वही ऊँचा उठता है। हमारा प्रयत्न होना चाहिए कि हम अपने दोषों को त्याग दें।"
"अपने धर्म का पालन करते हुए जैसी भी स्थिति आ पड़े, उसी में सुख मानना चाहिए और ईश्वर में विश्वास रखकर सभी कर्तव्यों का पालन करते हुए आनन्दपूर्वक दिन बिताने चाहिए।"
"शत्रु का लोहा भले ही गर्म हो जाये, पर हथौड़ा तो ठंडा रहकर ही काम दे सकता है।"
"जीतने के बाद नम्रता और निरभिमानता आनी चाहिए, और वह यदि न आए तो वह घमंड कहलाएगा।"
"चूँकि पाप का भार बढ़ गया है, अतः संसार विनाश के मार्ग पर अग्रसर है।"
"मानव ईश्वरप्रदत्त बुद्धि का उपयोग नहीं करता, आँखें होते हुए भी नहीं देखता, इसीलिए वह दुखी रहता है।"
"हिंसा के बल पर ही जो सारी तैयारी करते हैं। उनके दिल में भी के सिवाय और कुछ नहीं होता। भी तो ईश्वर से होना चाहिए,किसी मनुष्य या सत्ता से नहीं और भी को मिटाकर हम दूसरों को भयभीत करें तो इस जैसा कोई पाप नहीं।"
"भारत की एक बड़ी विशेषता है, वह यह कि चाहे कितने ही उतर-चढ़ाव आएँ, किन्तु पुण्यशाली आत्माएँ यहाँ जन्म लेती ही रहती हैं।"
"मृत्यु ईश्वर-निर्मित है, कोई किसी को प्राण न दे सकता है, न ले सकता है। सरकार की तोपें और बंदूकें हमारा कुछ भी नहीं कर सकतीं।"
"शक्ति के बिना बोलने से लाभ नहीं। गोला-बारूद के बिना बत्ती लगाने से धडाका नहीं होता।"
"संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है। मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।"
"शक्ति के बिना श्रद्धा व्यर्थ है। किसी भी महान कार्य को पूरा करने में श्रद्धा और शक्ति दोनों की आवश्यकता है।"
"जल्दी करने से आम नहीं पकता। आम की कच्ची कैरी तोड़ेंगे तो दांत खट्टे होंगे। फल को पकने दें, पकेगा तो स्वयं गिरेगा और रसीला होगा। इसी भांति समझौते का समय आएगा, तब सच्चा लाभ मिलेगा।"
"सुख और दुःख मन के कारण ही पैदा होते हैं और वे मात्र कागज के गोले हैं।"
"अगर आप आम के फल को समय से पहले ही तोड़ कर खा लेंगे, तो वह खट्टा ही लगेगा। लेकिन वहीँ आप उसे थोड़ा समय देते हैं तो वह खुद-ब-खुद पककर नीचे गिर जाएगा और आपको अमृत के समान लगेगा।"
"अगर आपके पास शक्ति की कमी है तो विश्वास किसी काम का नहीं क्योंकि महान उद्देश्यों की पूर्ति के लिए शक्ति और विश्वास दोनों का होना जरूरी है।"
"अगर हमारी करोड़ों की दौलत भी चली जाए या फिर हमारा पूरा जीवन बलिदान हो जाए तो भी हमें ईश्वर में विश्वास और उसके सत्य पर विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए।"
"अधिकार मनुष्य को तब तक अँधा बनाये रखेंगे, जब तक मनुष्य उस अधिकार को प्राप्त करने हेतु मूल्य न चुका दे।"
"अपने जीवन में हम जो कुछ कर पाते हैं, वह कोई बड़ी बात नहीं, जिसके लिए हम गुरुर कर सकें, क्योंकि जो कुछ हम करते हैं, उसमे हमारा क्या भाग है? असल में कराने वाला तो खुदा है।"
"आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।"
"आत्मा को गोली या लाठी नहीं मार सकती, दिल के भीतर की असली चीज इस आत्मा को कोई हथियार नहीं छू सकता।"
"आपके घर का प्रबंध दूसरों को सौंपा गया हो तो यह कैसा लगता है- यह आपको सोचना है जब तक प्रबंध दूसरों के हाथ में है तब तक परतन्त्रता है और तब तक सुख नहीं।"
"आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।"
"आलस्य छोडिये और बेकार मत बैठिये क्योंकि हर समय काम करने वाला अपनी इन्द्रियों को आसानी से वश में कर लेता है।"
"इंसान जितने सम्मान के लायक हो, उतना ही उसका सम्मान करना चाहिये, उससे अधिक नहीं करना चाहिये नहीं तो उसके नीचे गिरने का डर रहता है।"
"इस देश की मिट्टी में कुछ अलग ही बात है, जो इतनी कठिनाइयों के बावजूद हमेशा महान आत्माओं की भूमि रही हैं।"
"ईश्वर का नाम ही (रामवाण) दवा है दूसरी सब दवाएं बेकार हैं वह जब तक हमें इस संसार में रखे, तब तक हम अपना कर्तव्य करते रहें जाने वाले का शोक न करें, क्योंकि जीवन की डोर तो उसी के हाथ में है फिर चिंता की क्या बात याद रहे कि सबसे दुखी मनुष्य में भगवान का वास होता है वह महलों में नहीं रहता।"
"कठोर-से-कठोर हृदय को भी प्रेम से वश में किया जा सकता है प्रेम तो प्रेम है माता को भी अपना काना-कुबड़ा बच्चा भी सुंदर लगता है और वह उससे असीम प्रेम करती है।"
"कर्तव्यनिष्ठ पुरूष कभी निराश नहीं होता अतः जब तक जीवित रहें और कर्तव्य करते रहें तो इसमें पूरा आनन्द मिलेगा।"
"कल किये जाने वाले कर्म का विचार करते-करते आज का कर्म भी बिगड़ जाएगा और आज के कर्म के बिना कल का कर्म भी नहीं होगा, अतः आज का कर्म कर लिया जाये तो कल का कर्म स्वत: हो जाएगा कल हमें कोई मदद देने वाला है, इसलिए आज बेठे रहे, तो आज भी बिगड़ जाएगा, और कल तो बिगड़ेगा ही।"
"कायरता का बोझा दूसरे पड़ोसियों पर रहता है अतः हमें मजबूत बनना चाहिए ताकि पड़ोसियों का काम सरल हो जाए।"
"किसी तन्त्र या संस्थान की पुनपुर्न: निंदा की जाए तो वह ढीठ बन जाता है और फिर सुधरने की बजाय निंदक की ही निंदा करने लगता है।"
"किसी राष्ट्र के अंतर में स्वतन्त्रता की अग्नि जल जाने के बाद वह दमन से नहीं बुझाई जा सकती स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद भी यदि परतन्त्रता की दुर्गन्ध आती रहे तो स्वतन्त्रता की सुगंध नहीं फैल सकती।"
"कोशिश करना हमारा फर्ज है अगर हम अपने फर्ज को पूरा ना करें तो हम ईश्वर के गुनहगार बनते हैं।”
"गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।"
"चरित्र के विकास से बुद्धि का विकास तो हो ही जाएगा और लोगों पर छाप तो हमारे चरित्र की ही पडती है।"
"जब तक हमारा अंतिम ध्येय प्राप्त ना हो जाए तब तक उत्तरोत्तर अधिक कष्ट सहन करने की शक्ति हमारे अन्दर आये, यही सच्ची विजय है।"
"जवानी को जाते देर नहीं लगती और गई हुई जवानी फिर वापस नहीं आती जो मनुष्य जवानी के एक एक पल का उपयोग करता है, वह कभी बूढा नहीं होता सदा जवान बने रहने की इच्छा वाला मनुष्य मरते दम तक अपने कर्त्तव्य पालन में जुटा रहता है।"
"जितना दुःख भाग्य में लिखा है, उसे भोगना ही पड़ेगा-फिर चिंता क्यों?"
"जिसने भगवान को पहचान लिया, उसके लिए तो संसार में कोई अस्पृश्य नहीं है, उसके मन में ऊँच-नीच का भेद कहाँ! अस्पृश्य तो वह प्राणी है जिसके प्राण निकल गए हों अर्थात वह शव बन गया हो अस्पृश्यता एक वहम है जब कुत्ते को छूकर, बिल्ली को छूकर नहाना नहीं पड़ता तो अपने समान मनुष्य को छूकर हम अपवित्र कैसे हुए?
"जीवन में आप जितने भी दुःख और सुख के भागी बनते हैं, उसके पूर्ण रूप से जिम्मेदार आप स्वंय ही होते है। इसमें ईश्वर का कोई भी दोष नहीं।"
"जैसे प्रसव-वेदना के बाद राहत मिलती है, उसी प्रकार ज्यादती के बाद ही विजय होती है समाज की बुराइयों को दूर करने के लिए इससे अधिक शक्तिशाली कोई हथियार नहीं।"
"जो भी व्यक्ति जीवन को बहुत अधिक गंभीरता से लेता हैं, उसे एक तुच्छ जीवन जीने के लिए तैयार रहना चाहिए। सुख-दुःख को समान रूप से स्वीकार करने वाला व्यक्ति ही सही मायनों में जीवन का आनंद ले पाता है।"
"जो मनुष्य सम्मान प्राप्त करने योग्य होता है, वह हर जगह सम्मान प्राप्त कर लेता है पर अपने जन्म-स्थान पर उसके लिए सम्मान प्राप्त करना कठिन ही है।"
"त्याग के मूल्य का तभी पता चलता है, जब अपनी कोई मूल्यवान वस्तु छोडनी पडती है जिसने कभी त्याग नहीं किया, वह इसका मूल्य क्या जाने।"
"थका हुआ इंसान दौड़ने लगे तो स्थान पर पहुँचने के बजाय जान गंवा बेठता है, ऐसे समय पर आराम करना और आगे बढ़ने की ताकत जुटाना उसका धर्म हो जाता है।"
"दुःख उठाने के कारण प्राय: हममें कटुता आ जाती है, द्रष्टि संकुचित हो जाती है और हम स्वार्थी तथा दूसरों की कमियों के प्रति असहिष्णु बन जाते हैं शारीरिक दुःख से मानसिक दुःख अधिक बुरा होता है।"
"दुश्मन का लोहा भले ही गर्म हो जाय पर हथोड़ा हमेशा उसे ठंडा कर देता है।"
"देश में अनेक धर्म, अनेक भाषाएँ हैं, तो भी इसकी संस्कृति एक है।”
"नेतापन तो सेवा में है, पर जो सीधा बन जाता है, वह किसी-न-किसी दिन लुढक अवश्य जाता है।"
"प्रत्येक मनुष्य में प्रकृति ने चेतना का अंश रख दिया है जिसका विकास करके मनुष्य उन्नति कर सकता है।"
"प्राण लेने का अधिकार तो ईश्वर को है सरकार की तोप या बंदूकें हमारा कुछ नहीं कर सकतीं हमारी निर्भयता ही हमारा कवच है।"
"प्राणियों के इस शरीर की रक्षा का दायित्व बहुत-कुछ हमारे मन पर भी निर्भर करता है।"
"पड़ोसी का महल देखकर अपनी झोपडी तोड़ डालने वाला महल तो बना नहीं सकता, अपनी झोपडी भी खो बैठता है।"
"बहुत बोलने से कोई फायदा नहीं होता बल्कि नुकसान ही होता है।"
"भगवान के आगे झुको किसी दुसरे के आगे नहीं, हमारा सिर कभी भी झुकने वाला नहीं होना चाहिए।"
"मान-सम्मान किसी के देने से नहीं मिलते, अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं।"
"मेरी तो आदत पड़ गई है की जहाँ पैर रख दिया, वहां से पीछे न हटाया जाए, जहाँ पैर रखने के बाद वापस लोटना पड़े, वहां पैर रखने की मुझे आदत नहीं, अँधेरे में कूद पड़ने का मेरा स्वभाव नहीं है।"
"यह बिल्कुल सत्य है कि पानी में तैरने वाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहने वाले नहीं, लेकिन किनारे पर खड़े रहने वाले कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।"
"यह भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य हैं कि वह अनुभव करे कि उसका देश स्वतन्त्र हैं और देश की स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्त्तव्य हैं। अब हर भारतीय को भूल जाना चाहिए कि वह सिख हैं, जाट है या राजपूत। उसे केवल इतना याद रखना चाहिए कि अब वह केवल भारतीय हैं जिसके पास सभी अधिकार हैं, लेकिन उसके कुछ कर्तव्य भी हैं।"
"वह इन्सान कभी सुख प्राप्त नहीं कर सकता जिसने कभी किसी संत को दुःख पहुंचाया हो।"
"विश्वास का न होना ही का कारण है प्रज्ञा का विश्वास राज्य की निर्भयता की निशानी है।"
"विश्वास रखकर आलस्य छोड़ दीजिये, वहम मिटा दीजिये, डर छोड़िये, फूट का त्याग कीजिये, कायरता निकाल डालिए, हिम्मत रखिये, बहादुर बन जाइए, और आत्मविश्वास रखना सीखिए इतना कर लेंगे तो आप जो चाहेंगे, अपने आप मिलेगा दुनिया में जो जिसके योग्य है, वह उसे मिलता ही है।"
"शारीरिक और मानसिक शिक्षा साथ –साथ दी जाये, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए शिक्षा इसी हो जो छात्र के मन का, शरीर का, और आत्मा का विकास करे।"
"संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।"
"सच्चे त्याग और आत्मशुद्धि के बिना स्वराज नहीं आएगा आलसी, ऐश-आराम में लिप्त के लिए स्वराज कहाँ! आत्मबल के आधार पर खड़े रहने को ही स्वराज कहते हैं।"
"सत्ताधीशों की सत्ता उनकी मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जाती है, पर महान देशभक्तों की सत्ता मरने के बाद काम करती है, अतः देशभक्ति अर्थात् देश-सेवा में जो मिठास है, वह और किसी चीज में नहीं।"
"सत्य के मार्ग पर चलने हेतु बुरे का त्याग अवश्यक है, चरित्र का सुधार आवश्यक है।"
"सारी उन्नति की कुंजी ही स्त्री की उन्नति में है स्त्री यह समझ ले तो स्वयं को अबला न कहे वह तो शक्ति-रूप है माता के बिना कौन पुरूष पृथ्वी पर पैदा हुआ है।"
"सेवा करनेवाले मनुष्य को विन्रमता सीखनी चाहिए, वर्दी पहन कर अभिमान नहीं, विनम्रता आनी चाहिए
"सेवा-धर्म बहुत कठिन है यह तो काँटों की सेज पर सोने के समान ही है।"
"स्वार्थ के हेतु राजद्रोह करनेवालों से नरककुंड भरा है।"
"हम कभी हिंसा न करें, किसी को कष्ट न दें और इसी उद्देश्य से हिंसा के विरूद्ध गांधीजी ने अहिंसा का हथियार आजमा कर संसार को चकित कर दिया।"
"हर जाति या राष्ट्र खाली तलवार से वीर नहीं बनता तलवार तो रक्षा-हेतु आवश्यक है, पर राष्ट्र की प्रगति को तो उसकी नैतिकता से ही मापा जा सकता है।"
मौ०फैसल
۞═══════✍═══════۞
❥❥❥══════❥❥═❥❥
MOHD FAISAL
❥❥❥══════❥❥═❥❥
۞═══════✍═══════۞
Hope you enjoy joining us
Thank you
Comments
Post a Comment