Dr.A.P.J.ABDUL KALAM डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
A.P.J. Abdul Kalam
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की भारत में परमाणु ऊर्जा में भागीदारी ने उन्हें "भारत का मिसाइल मैन" की उपाधि दी. उनके योगदान के कारण, भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया.
आपको बता दें कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 9 फरवरी 2020 को नई दिल्ली में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की बायोपिक का फर्स्ट लुक जारी किया था. फिल्म का शीर्षक ए.पी.जे. अब्दुल कलाम : द मिसाइल मैन (APJ Abdul Kalam: The Missile Man) है.
उनकी जयंती को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. वह 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे. उन्हें 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. उनका जन्म धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था और उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया था.
नाम: अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम)
राष्ट्रीयता: भारतीय
व्यवसाय: इंजीनियर, वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर, राजनीतिज्ञ
जन्म: 15-अक्टूबर -1931
जन्म स्थान: धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत
निधन: 27 जुलाई 2015, शिलांग, मेघालय, भारत
के रूप में प्रसिद्ध: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक राष्ट्रपति रहे
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम वर्ष 2002 में लक्ष्मी सहगल के खिलाफ राष्ट्रपति चुने गए थे. भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले, उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम किया था.
देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम, प्रक्षेपण यान और बैलिस्टिक मिसाइल प्रौद्योगिकी विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें ‘मिसाइल मैन ऑफ इंडिया’ नाम की उपाधि दी गई. इसके अलावा, 1998 में, उन्होंने भारत के पोखरण-II परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण योगदान भी दिया था.
क्या आप जानते हैं कि डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने अपना करियर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में एक वैज्ञानिक के रूप में शुरू किया था? उन्होंने ISRO में भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च वाहन (SLV-III) के के एक प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भी काम किया था.
1990 के दशक में उन्होंने 2002 में भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया था. आइये अब, इस लेख के माध्यम से डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के बारे में विस्तार से अध्ययन करते हैं.
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: पारिवारिक इतिहास और प्रारंभिक जीवन
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन था, जो एक नावक थे. उनकी माता का नाम असीम्मा था और वह एक गृहणी थीं. ये कुल पांच भाई बहिन थे, तीन बड़े भाई और एक बड़ी बहन.
उनकी सबसे बड़ी बहन जिसका नाम आसिम ज़ोहरा और तीन बड़े भाई, अर्थात् कासीम मोहम्मद, मुस्तफा कमल, मोहम्मद मुथु मीरा लेबाई मारिकायर था. वह अपने परिवार के करीब थे और हमेशा उनकी मदद करते थे, हालांकि वह पूरी जिंदगी कुंवारे रहे.
अब्दुल कलाम के पूर्वज कई संपत्तियों और भूमि के बड़े ट्रैक्ट के साथ धनी व्यापारी और ज़मींदार थे. वे मुख्य भूमि और द्वीप के बीच और श्रीलंका से किराने का सामान व्यापार करते थे और मुख्य भूमि से पामबन द्वीप तक तीर्थयात्रियों के लिए नौका विहार करते थे. तो, उनके परिवार को "Mara Kalam Iyakkivar" (लकड़ी की नाव चलाने वाले) और बाद में "माराकियर" (Marakier) के नाम से जाना गया.
लेकिन 1920 के दशक तक, उनके परिवार के व्यवसाय विफल हो गए और जब तक अब्दुल कलाम का जन्म हुआ तब तक वे गरीबी से जूझ रहे थे. परिवार की मदद करने के लिए, कलाम ने कम उम्र में अखबार बेचना शुरू किया था.
स्कूल के दिनों में वे पढ़ाई लिखाई में सामान्य थे पर नै चीजें सिखने के लोए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे. वे चीजों को सीखना चाहते थे और अपनी पढ़ाई पर घंटो ध्यान देते थे. गणित में उनकी मुख्य रुचि थी.
उन्होंने Schwartz Higher Secondary स्कूल, रामनाथपुरम, तमिलनाडु से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की थी और बाद में उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज में दाखिला लिया और सं 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया.1955 में वे मद्रास चले गए जहां से उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की उनका सपना एक लड़ाकू पायलट बनना था, परन्तु परीक्षा में उन्होंने नौवा स्थान प्राप्त किया, जबकि आईएएफ ने केवल आठ परिणाम ही घोषित किये थे. अतः वह उसमें सफल नहीं हो पाये.
महान वैज्ञानिक
भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति, अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम एक वैज्ञानिक थे जिन्होने 2002 से 2007 तक इस पद की शोभा बढ़ाई। उन्होने एरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और 4 दशकों तक विज्ञान के प्रशासक के रूप में काम किया।
हमारे 'मिसाइल मैन'
मिसाइल विकसित में उनके अपभूतपूर्व योगदान के कारण उन्हें ‘भारत का मिसाइल मैन' भी कहा जाता है। उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया, ‘भारत रत्न' उनमें से एक है।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: शिक्षा और करियर
वर्ष 1960 में स्नातक
स्तर की पढ़ाई
पूरी करने के
बाद, डॉ ए.पी.जे.
अब्दुल कलाम रक्षा
अनुसंधान और विकास
संगठन के वैमानिकी
विकास प्रतिष्ठान में
एक वैज्ञानिक के
रूप में शामिल
हो गए.
उन्होंने इनकोस्पार (भारतीय राष्ट्रीय समिति) की समिति के हिस्से के रूप में प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ भी काम किया था. उन्होंने DRDO में एक छोटा होवरक्राफ्ट डिजाइन करके अपने करियर की शुरुआत की थी. अपने करियर की शुरुआत में, उन्होंने भारतीय सेना के लिए एक छोटा सा हेलीकॉप्टर तैयार किया था. वर्ष 1963 से 1964 तक, डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने रक्षा मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में स्थित गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर, वर्जीनिया के पूर्वी तट पर स्थित वालप्स फ्लाइट दक्षता और वर्जीनिया के हैम्पटन में स्थित नासा के लैंगली रिसर्च सेंटर का दौरा किया.
उन्होंने 1965 में DRDO में स्वतंत्र रूप से एक विस्तार योग्य रॉकेट परियोजना पर स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू कर किया था. वह DRDO में अपने काम से बहुत संतुष्ट नहीं थे और जब उन्हें 1969 में इसरो को स्थानांतरण आदेश मिले तो वे खुश हो गए. वहां उन्होंने SLV-III के परियोजना निदेशक के रूप में कार्य किया. जुलाई 1980 में, उनकी टीम पृथ्वी की कक्षा के पास रोहिणी उपग्रह को स्थापित करने में सफल रही थी. यह भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित उपग्रह प्रक्षेपण यान है.
अब्दुल कलाम जी ने 1969 में सरकार की स्वीकृति प्राप्त की और अधिक इंजीनियरों को शामिल करने के लिए कार्यक्रम का विस्तार किया. 1970 के दशक में, उन्होंने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) को विकसित करने के उद्देश्य से एक प्रयास किया था ताकि भारत अपने भारतीय रिमोट सेंसिंग (IRS) उपग्रह को Sun-Synchronous कक्षा में लॉन्च कर सके, PSLV परियोजना सफल रही और 20 सितंबर 1993 को, यह पहली बार लॉन्च किया गया था.
वर्ष 1970 से 1990 तक एसएलवी -3 और ध्रुवीय एसएलवी की परियोजनाओं के विकास में डॉ कलाम के प्रयास काफी सफल साबित हुए थे.
डॉ कलाम ने परियोजना वालिएंट और प्रोजेक्ट डेविल को निर्देशित किया था जिसका उद्देश्य एसएलवी कार्यक्रम की तकनीक का उपयोग करके बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित करना था, जो सफल भी रहा था.
DRDO द्वारा प्रबंधित एक भारतीय रक्षा मंत्रालय ने अन्य सरकारी संगठनों के साथ मिलकर 1980 के दशक की शुरुआत में Integrated Guided Missile Development Program(IGMDP) का शुभारंभ किया. अब्दुल कलाम को इस परियोजना का नेतृत्व करने के लिए कहा गया और इसलिए वह आईजीएमडीपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में डीआरडीओ में लौट आए. उन्हीं के निर्देशों से ही अग्नि मिसाइल, पृथ्वी जैसे अन्य मिसाइलों का बनाना सफल हुआ.
अब्दुल कलाम जी के नेतृत्व में, IGMDP की परियोजना 1988 में पहली पृथ्वी मिसाइल और फिर 1989 में अग्नि मिसाइल जैसी मिसाइलों का उत्पादन करके सफल साबित हुई। उनके योगदान के कारण, उन्हें "भारत के मिसाइल मैन" के रूप में जाना जाता है. उन्होंने, जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सचिव के रूप में कार्य किया था और प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे थे.
अब्दुल कलाम जी ने इस अवधि में हुए पोखरण द्वितीय परमाणु परीक्षण में डॉ. कलाम ने एक महत्वपूर्ण तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को एक पूर्ण विकसित परमाणु राज्य घोषित किया.
क्या आप जानते हैं कि 1998 में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सोमा राजू के साथ अब्दुल कलाम जी ने एक कम लागत वाली कोरोनरी स्टेंट विकसित की थी? जिसे बाद में “कलाम-राजू स्टेंट” नाम दिया गया था. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में इन दोनों लोगों ने स्वास्थ्य देखभाल के लिए टैबलेट पीसी भी डिजाइन किया गया था जिसे "कलाम-राजू टैबलेट" नाम दिया गया था.
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल (2002 से 2007)
- 10 जून 2002 को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने राष्ट्रपति पद के लिए डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का नाम विपक्ष की नेत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को प्रस्तावित किया था.
- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था. वह राष्ट्रपति भवन में रहने वाले पहले अविवाहित और वैज्ञानिक थे.
- क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें लगभग 922,884 वोट मिले थे और विपक्ष के लक्ष्मी सहगल को हराकर चुनाव जीता था?
- के.आर. नारायणन के बाद डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने.
- वे सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्राप्त करने वाले भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे. इनसे पहले वर्ष 1954 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वर्ष 1963 में डॉ. जाकिर हुसैन को यह सम्मान प्रदान किया गया था.
- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को पीपुल्स प्रेसिडेंट के रूप में भी जाना जाता था.
- उनके अनुसार, राष्ट्रपति के रूप में उनके द्वारा लिया गया सबसे कठिन निर्णय ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के बिल पर हस्ताक्षर करने का था.
- अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान, वह भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के अपने दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध रहे.
- हालांकि, 21 में से 20 लोगों की दया याचिकाओं के भाग्य का फैसला करने की निष्क्रियता के लिए उन्हें एक राष्ट्रपति रूप में आलोचित भी होना पड़ा था, जिसमें कश्मीरी आतंकवादी अफजल गुरु भी शामिल थे, जिन्हें दिसंबर 2001 में संसद हमलों के लिए दोषी पाया गया था.
- उन्होंने 2007 में फिर से राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति के रूप में पद छोड़ दिया.
एपीजे अब्दुल कलाम ने भारतीय सेना के लिए मिनी हैलिकॉप्टर तैयार किया। उनके कैरियर ने एक नई करवट ली जब एसएलवी-III प्रोजेक्ट के लिए उनका ट्रांसफर इसरो में हुआ। टीबीआरएल का प्रतिनिधित्व करते हुये, उन्होने स्माइलिंग बुद्धा का प्रतिनिधित्व किया जो कि पहला परमाणु परीक्षण था। 1980 में, उनके व्यापक रिसर्च और
राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद का समय
राष्ट्रपति
पद से सेवामुक्त
होने के बाद
डॉ कलाम शिक्षण,
लेखन, मार्गदर्शन और
शोध जैसे कार्यों
में व्यस्त रहे
और भारतीय प्रबंधन
संस्थान, शिल्लोंग, भारतीय प्रबंधन
संस्थान, अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन
संस्थान, इंदौर, जैसे संस्थानों
से विजिटिंग प्रोफेसर
के तौर पर
जुड़े रहे। इसके
अलावा वह भारतीय
विज्ञान संस्थान बैंगलोर के
फेलो, इंडियन इंस्टिट्यूट
ऑफ़ स्पेस साइंस
एंड टेक्नोलॉजी, थिरुवनन्थपुरम,
के चांसलर, अन्ना
यूनिवर्सिटी, चेन्नई, में एयरोस्पेस
इंजीनियरिंग के प्रोफेसर
भी रहे।
उन्होंने आई. आई. आई. टी. हैदराबाद, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी और अन्ना यूनिवर्सिटी में सूचना प्रौद्योगिकी भी पढाया था।
कलाम हमेशा से देश के युवाओं और उनके भविष्य को बेहतर बनाने के बारे में बातें करते थे। इसी सम्बन्ध में उन्होंने देश के युवाओं के लिए “व्हाट कैन आई गिव’ पहल की शुरुआत भी की जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार का सफाया है। देश के युवाओं में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें 2 बार (2003 & 2004) ‘एम.टी.वी. यूथ आइकॉन ऑफ़ द इयर अवार्ड’ के लिए मनोनित भी किया गया था।
वर्ष 2011 में प्रदर्शित हुई हिंदी फिल्म ‘आई ऍम कलाम’ उनके जीवन से प्रभावित है।
शिक्षण के अलावा डॉ कलाम ने कई पुस्तकें भी लिखी जिनमे प्रमुख हैं – ‘इंडिया 2020: अ विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम’, ‘विंग्स ऑफ़ फायर: ऐन ऑटोबायोग्राफी’, ‘इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’, ‘मिशन इंडिया’, ‘इंडोमिटेबल स्पिरिट’ आदि।
विकास कार्यों से उन्हें कई पुरस्कार और प्रशंसाएं प्राप्त हुई। जुलाई 1992 से वे प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार रहे। पोखरण-II परमाणु परीक्षण के दौरान तकनीक और राजनीति के क्षेत्र में उनकी भूमिका सराहनीय रही।
एपीजे अब्दुल कलाम जी का स्वाभाव ,
एपीजे अब्दुल कलाम को बच्चों से बहुत अधिक स्नेह है. वे हमेशा अपने देश के युवाओं को अच्छी सीख देते रहे है, उनका कहना है युवा चाहे तो पूरा देश बदल सकता है. देश के सभी लोग उन्हें ‘मिसाइल मैन’ के नाम ने संबोधित करते है. डॉ एपीजे कलाम को भारतीय प्रक्षेपास्त्र में पितामह के रूप जाना जाता है. कलाम जी भारत के पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं, जो अविवाहित होने के साथ-साथ वैज्ञानिक पृष्ठभूमि से राजनीति में आए है. राष्ट्रपति बनते ही एपीजे अब्दुल कलाम ने देश के एक नए युग की शुरुवात की जो कि आज तक आयाम है.
राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद का सफर,
राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद कलाम जी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम के चांसलर बन गए. साथ ही अन्ना यूनिवर्सिटी के एरोस्पेस इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर बन गए. इसके अलावा उन्हें देश के बहुत से कॉलेजों में विसिटिंग प्रोफेसर के रूप में बुलाया जाता रहा.
डीआरडीओ में कार्यकाल Work In DRDO
,
अपनी शिक्षा के पश्चात् ही वे DRDO से विज्ञानिक के रूप में जुड़े और शुरुवात में उन्होंने छोटे हेलीकाप्टर डिजाईन कारने में अपना अहम् योगदान दिया।
अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति (Indian National Committee For Space Research – INCOSPAR) का हिस्सा होने के कारन उनको भारत के महान वैज्ञानिक जैसे विक्रम अम्बलाल साराभाई (Vikram Ambalal Sarabhai) जैसे लोगों के साथ काम करने का मौका मिला।
इसरो में कार्यकाल Work In ISRO
,
1969 में उन्हें ISRO भेज दिया गया जहाँ उन्होंने परियोजना निदेशक (Project Director) के पद पर काम किया।
उन्होंने पहला उपग्रह प्रक्षेपण यान (Satellite Launch Vehicle – SLV III) और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (Polar Satellite Launch Vehicle -PSLV) को बनाने में अपना अहम् योगदान दिया जिनका प्रक्षेपण बाद में सफल हुआ।
1980 में भारत सरकार ने एक आधुनिक मिसाइल प्रोग्राम(Advanced Missile Program) अब्दुल कलाम जी डायरेक्शन से शुरू करने का सोचा इसलिए उन्होंने दोबारा DRDO में भेजा। उसके बाद एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (Integrated Guided Missile Development Program -IGMDP) कलाम जी के मुख्य कार्यकारी के रूप में शुरू किया गया। अब्दुल कलाम जी के निर्देशों से ही अग्नि मिसाइल, पृथ्वी जैसे मिसाइल का बनाना सफल हुआ।
मिसाइल मैन और शिक्षक का विशाल जीवन
,
इस 'मिसाइलमैन' को भारत सरकार ने 'पद्मभूषण', 'पद्मिविभूषण' और 'भारतरत्न' देकर इन सम्मानों की ही गरिमा बढ़ाई। वे कहते थे - 'मैं शिक्षक हूं और इसी रूप में पहचाना जाना चाहता हूं।' और सचमुच अपनी अंतिम श्वास लेते समय वे विद्यार्थियों के बीच ही तो थे एक शिक्षक के रूप में।
वे हमारी आंखों में आंसू नहीं, स्वप्न देखना चाहते थे। वे कहा करते थे - 'सपने वे नहीं होते जो सोते वक्त आते हैं, बल्कि सपने तो वे होते हैं जो कभी सोने ही नहीं देते।' युवाओं के बूते देश में नई क्रांति लाने का उनका यह ध्येय नवीन भारत की आधारशिला थी।
सचमुच डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसा व्यक्तित्व का इस धरती पर जन्म लेना भारत के लिए गौरव की बात है। एक बार डॉ. कलाम जब स्कूल के बच्चों को लेक्चर दे रहे थे तभी बिजली में कुछ गड़बड़ी हो गई।डॉ. कलाम उठे और सीधा बच्चों के बीच चले गए और उन्हें घेरकर खड़े हो जाने के लिए कहा।
दरअसल, डॉ. कलाम बतौर वैज्ञानिक काफी समय त्रिवेंद्रम में रहे थे, और तभी से वे इन लोगों को जानते थे, और किसी नेता या सेलेब्रिटी की बजाए उन्होंने आम लोगों को महत्व दिया।
सादगी की मिसाल कलाम
,
जब कोई प्रेसिडेंट बन जाता है तो सरकार उसकी सारी जरूरतों का ध्यान रखती है, पद से हटने के बाद भी। यही वजह रही कि डॉ. कलाम ने अपनी सारी सेविंग्स 'प्रोवाइडिंग अर्बन एमिनिटीज इन रूरल एरियाज' के लिए दान कर दी।
जब डॉ. कलाम डी.आर.डी.ओ में थे तब उन्हें एक कॉलेज इवेंट के लिए बतौर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। लेकिन डॉ. कलाम रात में ही आयोजन स्थल का चक्कर लगाने पहुंच गए, वहां जाकर उन्होंने कहा कि वो उन लोगों से मिलना चाहते हैं जो पर्दे के पीछे रहकर इस आयोजन को सफल बनाने में लगे हैं, इसलिए इस वक्त आ गए।
27 जुलाई 2015 को शाम भारत माता का यह महान सपूत उसकी गोद में सदा के लिए सो जाने के लिए हमसे विदा ले गया। विश्व ने एक महान वैज्ञानिक को खोया। देश ने अपने पूर्व राष्ट्रपति को तो खोया ही, पर साथ ही करोड़ों बच्चों का भी उनके प्यारे 'काका कलाम' का बिछोह था यह।
युवा पीढ़ी को सराहते थे कलाम
कलाम का मानना
था कि युवा
पीढ़ी ही देश
की असली पूंजी
है। अत: वे
युवाओं के बूते
देश को विकसित
बनाने के प्रति
संकल्पित थे। उन्होंने
देश को विकसित
बनाने के सपने
को साकार करने
के लिए कई
जरूरी चीजों के
बारे में इंडिया
विजन 2020 के नाम
से डॉक्यूमेंट में
जानकारी दी थी।
बाद में उन्होंने
इंडिया 2020: ए विजन
फॉर द न्यू
मिलेनियम नाम से
इस पर किताब
भी लिखी।
कलाम ने 2020 तक भारत को विकसित बनाने के लिए जिन पांच अहम बातों पर जोर दिया था उनमें कृषि और फूड प्रोसेसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और स्वास्थ्य, इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी और शिक्षा के क्षेत्र में ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के साथ ही न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी का विकास शामिल था।
वे देश में खेती और फूड प्रोसेसिंग का उत्पादन दोगुना करने, विद्युतीकरण को गांवों तक ले जाने और सोलर पावर को बढ़ाने, अशिक्षा को खत्म करने, सामाजिक सुरक्षा और लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध कराने, टेलीकम्युनिकेशन और टेलीमेडिसिन जैसी टेक्नॉलजीज को बढ़ावा देने को भारत के विकसित बनने के लिए अनिवार्य मानते थे।
आज सरकार को इन पांचों बातों पर काम करने की जरूरत है। यह न केवल कलाम के स्वप्न को साकार करने के लिए जरूरी है, बल्कि देश के नागरिकों को एक समृद्ध व खुशहाल जीवन उपलब्ध कराने के लिए भी आवश्यक है।
यह बेहद चिंताजनक है कि कलाम के भरोसे वाली युवा पीढ़ी देश के विकास में अपना योगदान देने के बजाय भटकाव की ओर अग्रसर हो रही है, इसलिए युवा उर्जा के संतुलित उपयोग का विषय सरकार की चिंताओं में अग्रणी होना चाहिए। यदि हम समय रहते हैं युवा शक्ति का सार्थक उपयोग विज्ञान, अनुसंधान और तकनीक के क्षेत्र में करने में सफल हो जाते हैं तो भारत को विकसित होने से कोई रोक नहीं सकता।
डॉ. कलाम के जीवन से हम क्या सीख सकते हैं?
उनका जन्म एक साधारण मछुआरे के परिवार में हुआ था, पेपर बेंच कर पढ़ाई की, मेहनत करने से कभी नहीं डरे, ईमानदारी से कभी नहीं हटे, उनका घर समुद्र के करीब था और उनकी इच्छाएं आकाश से आगे थीं। वह अपने पूरे जीवन काल में खुद में समुद्र की गहराई समेटे रहे और आकाश से आगे के रहस्य जानने की अपनी इच्छा को भी पूरा किया। उनका जीवन खुद में ही एक पाठशाला है, जिसने भी उनका अनुकरण किया वह सफल हो गया। भारत के सुदूर दक्षिणी छोर से लेकर शानदार रायसीना हिल्स राष्ट्रपति भवन का सफर बेहद शान से तय किया। यहां हम बात कर रहे हैं पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में। इस वित्त और व्यापार के मंच पर उनके बारे में आज बात करना इसलिए जरूरी है क्योंकि उनका जीवन हमें ईमानदारी, संयम और परिश्रम सिखाता है जो कि इस क्षेत्र में कार्यरत या इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बेहद जरूरी है। डॉ. कलाम के जीवन काल के इस सारांश को पढ़ते हुए इस बात को समझना चाहेंगे कि आखिर हम उनसे प्रेरणा लेकर कैसे एक सफल व्यक्ति बन सकते हैं।
अब्दुल कलाम जी का विज्ञान की दिशा में प्रमुख योगदान
,
सन् १९७२ में कलाम जी ने भारत के प्रथम उपग्रह एस एल वि ३ में काम किया.
सन् १९८० में कलाम जी ने भरत के रोहणी उपग्रह को पृथ्वी के कक्षा तक पहुचाया.
सन् १९८० में ही ISRO ने व्हीकल प्रोग्राम में परवाना चढाने का श्रेय मिला.
कलाम जी सन् १९९२ से १९९९ तक रक्षा मंत्री के विज्ञानं के सलाह कर रहे.
भारत को १९९८ परमाणु शक्ति देश बनाने में कलाम जी का बहुत ही बड़ा हाथ था.
कलाम जी ने भारत को आधुनिक बनाने के लिए २०२० तक के वैज्ञानिक कम्मो की एक सूची बनाई थी.
कलाम जी ने भारतीय सेना की शक्ति को बढ़ाने के लिए कई मिसाइल और ग्रेनेड को निर्माण करने का काम किया.
भारत देश की दो प्रमुख मिसाइल अग्नि और पृथ्वी को बनाने का पूरा श्रेय कलाम जी को हो जाता है.
अब्दुल कलाम जी का व्यक्तिगत जीवन
कलाम जी अपने जीवन में बहुत ही साधारण व अनुशासन का पालन करने वाले व्यक्ति थे. वह अपने जीवन में कुरान व श्री भगवत गीता इन दोनों पुस्तक का ध्यान करते थे. इसके अलवा वह तिरुक्कुरल ( प्राचीन भाषा में लिखित मुक्तक पुस्तक ) का भी अध्यन करते थे. इस बात का उल्लेख कलाम जी ने अपने कई भाषणों में किया है.
कलाम जी अपने सम्पूर्ण जीवन में वैज्ञानिक कार्यकर्मो में ज्यादा समय देते थे. इसके अलावा कलाम जी यह चाहते थे की भारत एक आधुनिक देश बन कर पूरी दुनिया में चमके इस काम के लिए उन्होंने कई उपकरणों में अपना योगदान दिया. इसी के बाद कलाम जी ने भारतीय अन्तरिक्ष के कई कार्यक्रम में अपना योगदान दिया और भारत को दुनिया में एक अलग पहचान दी.
कलाम जी को छोटे बच्चे बहुत पसंद थे. वह इन छोटे बच्चो से बात करने के लिए हमेशा किसी न किसी स्कूल में जाया करते थे. इन सभी जगह पर कलाम जी बच्चो को विज्ञानं के प्रति और अपनी पढाई के प्रति लापरवाही न करने की सलाह दिया करते थे.
राष्ट्रपति दायित्व से मुक्ति के बाद,
कार्यालय छोड़ने के बाद, कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर व भारतीय विज्ञान संस्थान,बैंगलोर के मानद फैलो, व एक विजिटिंग प्रोफेसर बन गए। भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम के कुलाधिपति, अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और भारत भर में कई अन्य शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सहायक बन गए। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अन्ना विश्वविद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी, और अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पढ़ाया।
मई 2012 में, कलाम ने भारत के युवाओं के लिए एक कार्यक्रम ,भ्रष्टाचार को हराने के एक केंद्रीय विषय के साथ, मैं आंदोलन को क्या दे सकता हूँ का शुभारंभ किया। उन्होंने यहाँ तमिल कविता लिखने और वेन्नई नामक दक्षिण भारतीय स्ट्रिंग वाद्य यंत्र को बजाने का भी आनंद लिया।
कलाम कर्नाटक भक्ति संगीत हर दिन सुनते थे और हिंदू संस्कृति में विश्वास करते थे। इन्हें 2003 व 2006 में एमटीवी यूथ आइकन ऑफ़ द इयर के लिए नामांकित किया गया था।
2011 में आई हिंदी फिल्म आई एम कलाम में, एक गरीब लेकिन उज्ज्वल बच्चे पर कलाम के सकारात्मक प्रभाव को चित्रित किया गया। उनके सम्मान में वह बच्चा छोटू जो एक राजस्थानी लड़का है खुद का नाम बदल कर कलाम रख लेता है। 2011 में, कलाम की कुडनकुलम परमाणु संयंत्र पर अपने रुख से नागरिक समूहों द्वारा आलोचना की गई। इन्होंने ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का समर्थन किया। इन पर स्थानीय लोगों के साथ बात नहीं करने का आरोप लगाया गया।
इन्हें एक समर्थ परमाणु वैज्ञानिक होने के लिए जाना जाता है पर संयंत्र की सुरक्षा सुविधाओं के बारे में इनके द्वारा उपलब्ध कराए गए आश्वासनों से नाखुश प्रदर्शनकारी इनके प्रति शत्रुतापूर्ण थे।
भारत
रत्न, मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति डॉ. अबुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम का अहम योगदान
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भारत रत्न, मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति डॉ. अबुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम भारत गणराज्य के ग्यारहवें राष्ट्रपति थे। विज्ञान की दुनिया से देश का प्रथम नागरिक बनने का गौरव डॉ. कलाम को समर्पित कर्मनिष्ठा का परिणाम है
उनमें उदारता की सच्ची भावना थी। इनके पिता जी स्थानीय ठेकेदार से मिलकर लकड़ी की नौकाएं बनाने का काम करते थे। कलाम को विरासत में पिता जी से ईमानदारी और अनुशासन तथा माँ से ईश्वर में विश्वास और करुणा का भाव मिला था।
अर्थाभाव से जूझते हुए भी शिक्षा को निरंतर बनाये रखने के लिए कलाम ने न्यूज़पेपर वितरण का काम भी किया था। तिरुचापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से बी.एस.सी करने के बाद कलाम ने दक्षिण भारत में तकनीकी शिक्षा के लिए मशहूर मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में दाखिला लिया।
वहाँ से हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड बंगलौर चले गये। वहाँ से वैमानिक अभियंता बनकर निकले तो इनके पास नौकरी के दो बड़े अवसर थे। एक अवसर भारतीय वायुसेना का था और दूसरा रक्षा मंत्रालय के अधीन तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय का था।
रक्षा मंत्रालय में चयन से आपकी नवोन्मेष अभीप्सा साकार होने लगी। इन्होने ग्राउंड इक्वीपमेंट मशीन के रूप में स्वदेशी होवर क्राप्ट का मॉडल तैयार कर उसका नाम 'नन्दी' दिया। प्रतिभा का प्रकाश फैलने लगा और कलाम को काम के नए अवसर मिलने लगे।
कलाम को डॉ. विक्रम साराभाई ने भारतीय अंतरीक्ष अनुसन्धान समिति में राकेट इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया। इसके बाद कलाम को सैटेलाइट लांच वैहिकल का (एस.एल.पी.) परियोजना प्रबंधक बनाया गया।
18 जुलाई 1980 को श्री हरिकोटा राकेट प्रेक्षेपण केंद्र से एस.एल.वी. नए सफल उड़ान भरी। इस परियोजना की सफलता ने डॉ. कलाम को राष्ट्रीय पहचान दी। इस उपलब्धि पर उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
सफलता से दायित्वों का बोझ बढ़ता ही जाता है। डॉ. कलाम को रक्षा अनुसंधान तथा विकास प्रयोगशाला में गाईडेड मिसाइल डेवलपमेंट की जिम्मेदारी दी गयी। इस परियोजना पर काम करते हुए अब्दुल कलाम ने पृथ्वी, त्रिशूल, अग्नि, आकाश, नाग, ब्रह्मोस आदि मिसाइलें विकसित की। जो जमीन से समुद्र से और हवा से कही से भी दागी जा सकती है।
इन मिसाइलों के विकास से रक्षा क्षेत्र में भारत की न केवल ताकत बड़ी है, बल्कि विश्व मंच पर भारतीय प्रतिभा का प्रभाव भी बढ़ा है। रक्षा और अन्तरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के लिए भारत सरकार ने इन्हें 1997 में भारत रत्न से अलंकृत किया।
भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भरता बढ़ाने के लिए 11 और 13 मई 1998 में राजस्थान के पोकरण में पाँच सफल परमाणु परिक्षण किये। इस सम्पूर्ण गोपनीय और विशिष्ट अभियान से डॉ. कलाम ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। डॉ. कलाम साल 2001 तक भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार रहें।
वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल कलाम को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने का आग्रह किया। जिसको स्वीकार कर राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने का फैसला लिया। 90% मतों के समर्थन से कलाम भारत के राष्ट्रपति बने। 25 जुलाई 2002 को कलाम ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली।
संवैधानिक दायित्यों का निर्वहन करते हुए कलाम ने भारत के विकास के स्वप्न को साकार करने का कर्म निरंतर जारी रखा। कलाम का पाँच साल का राष्ट्रपति कार्यकाल भारत के इतिहास का स्वर्णयुग है। गैर राजनैतिक व्यक्तित्व का देश के सबसे बड़े पद पर काम करने का पहला अवसर था।
अपने कार्यकाल में आम जन के प्रति स्नेह, सदभाव और संवेदना के साथ कर्तव्य के प्रति ईमानदारी और निष्ठा से आज भी जनता के राष्ट्रपति के रूप में स्मरणीय हैं।
डॉ. अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति के पद की जिम्मेदारी से निवृत्त होने के बाद भी सुख सुविधा और आराम का जीवन व्यतीत करना पसंद नहीं आया। विजन 2010 के जरिये भारत को अंतर्राष्ट्रीय जगत में समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में देखने की उत्कट लालसा थी। उनका मानना था उन्होंने विजन 2020 का जो सुनहरा स्वप्न संजो रखा है उसे साकार करने में युवा शक्ति पूरी तरह समर्थ हैं।
इसलिए उन्होंने राष्ट्रपति भवन की चहार दीवार से बहार आने के बाद देशभर में प्रवास करना शुरू किया। विद्यालयों, महाविद्यालयों और प्रबंधन संस्थाओं में और अपने व्याख्याओं से ऐसी छाप छोड़ते थे की मानो कक्षा में कोई पूर्व राष्ट्रपति नहीं बल्कि एक कोई धीर गंभीर शिक्षक व्याख्यान दे रहा हो।
जिसके पास ज्ञान का अपार भंडार हो। वे युवाओं के लिए एक दैदीप्यमान प्रकाश स्तम्भ थे। उनके प्रेरणास्पद विचार सुनने वाले युवकों को डॉ. कलाम में एक सच्चे पथ प्रदर्शक के दर्शन भी होते थे।
डॉ. कलाम केवल व्याख्यान ही नहीं देते थे बल्कि छात्रों की जिज्ञासाओं को भी तत्काल शांत करने के लिए तत्पर रहते थे। उनकी एक अभीलाषा थी की सदा उन्हें एक अध्यापक के रूप में याद किया जयर ओए जिस विधाता ने उन्हें यशस्वी जीवन का वरदान देकर इस पावन भूमि पर भेजा था उस विधाता ने उनकी यह इच्छा भी पूरी की।
इसे अदभुत संयोग कहना ही उचित होगा की 25 जुलाई 2015 को कलाम ने आई. आई. एम शिलांग के छात्रों के समक्ष अपना व्याख्यान देते हुये इस संसार को अलविदा कह दिया।
डॉ. कलाम सच्चे अर्थों में कर्मयोगी थे। वे गीता के नियमित अध्येता थे। उन्होंने यह इच्छा व्यक्त की थी की उनके निधन पर कोई अवकाश घोषित न किया जाये और लोग उस दिन अधिक काम करें। इसलिए पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर कोई अवकाश घोषित नहीं किया गया।
उनको हमारी श्रद्धांजली तो यह होगी की जिसका जो काम है उसमें वह समर्पित भाव से जुटा रहे। भारत सरकार ने नई दिल्ली में औरंगजेब रोड का नाम बदल कर डॉ. ए. पी. जे अब्दुल कलाम मार्ग कर दिया है। राजस्थान सरकार द्वारा डॉ. कलाम का जन्म दिवस को विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
डॉ. कलाम आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनका प्रेरणादायक व्यक्तित्व और कृतित्व हमें हमेशा स्मरण दिलाता रहेगा की संघर्षों में पला बढ़ा व्यक्ति भी अगर आगे बढ़कर कुछ कर दिखाने की ठान ले तो कठिन से कठिन बाधाएं भी उसका रास्ता नहीं रोक सकती।
इसलिए वे हमेशा युवकों से कहा करते थे की हमेशा बड़े सपने देखो, छोटे सपने देखना अपराध है। जिंदगी में वहीँ स्वप्न साकार होते है जो खुली आँखों से देखे जाते हैं।
अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम (15 अक्टूबर 1931 – 27 जुलाई 2015) इन्हे मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे।वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता (इंजीनियर) के रूप में विख्यात थे। उन्होंने सिखाया जीवन में चाहें जैसे भी परिस्थिति क्यों न हो पर जब आप अपने सपने को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उन्हें पूरा करके ही रहते हैं। अब्दुल कलाम मसऊदी के विचार आज भी युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे। इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में 'मिसाइल मैन' के रूप में जाना जाता है।
इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई।
कलाम सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए।पांच वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के अपने नागरिक जीवन में लौट आए। इन्होंने भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किये।
कलाम ने साहित्यिक रूप से भी अपने विचारों को चार पुस्तकों में समाहित किया है, जो इस प्रकार हैं: 'इण्डिया 2020 ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम', 'माई जर्नी' तथा 'इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया'। इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इस प्रकार यह भारत के एक विशिष्ट वैज्ञानिक थे, जिन्हें 40 से अधिक विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हो चुकी है।
"सबसे उत्तम कार्य क्या होता है? किसी इंसान के दिल को खुश करना, किसी भूखे को खाना देना, जरूरतमंद की मदद करना, किसी दुखियारे का दुख हल्का करना और किसी घायल की सेवा करना..."
-अब्दुल कलाम
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: पुरस्कार और उपलब्धियां
- 1981 में, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया.
- 1990 में, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
- 1997 में, भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
- 1998 में, वीर सावरकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
- 2000 में, अलवरस रिसर्च सेंटर, चेन्नई ने उन्हें रामानुजन पुरस्कार प्रदान किया.
- 2007 में, ब्रिटेन रॉयल सोसाइटी द्वारा किंग चार्ल्स द्वितीय मेडल से सम्मानित किया गया.
- 2008 में, उन्हें सिंगापुर के नान्यांग तकनीकी विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग (ऑनोरिस कौसा) की उपाधि प्रदान की गई थी.
- 2009 में, अमेरिका एएसएमई फाउंडेशन (ASME Foundation) द्वारा हूवर मेडल से सम्मानित किया गया
- 2010 में, वाटरलू विश्वविद्यालय ने डॉ. कलाम को डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग के साथ सम्मानित किया.
- 2011 में, वह आईईईई (IEEE) के मानद सदस्य बने.
- 2013 में, उन्हें राष्ट्रीय अंतरिक्ष सोसाइटी द्वारा वॉन ब्रौन पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
- 2014 में, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस उपाधि से नवाजा गया था.
- डॉ. कलाम लगभग 40 विश्वविद्यालयों के मानद डॉक्टरेट के प्राप्तकर्ता थे.
- 2015 में, संयुक्त राष्ट्र ने डॉ. कलाम के जन्मदिन को “विश्व छात्र दिवस” के रूप में मान्यता दी
- डॉ. कलाम की मृत्यु के बाद, तमिलनाडु सरकार द्वारा 15 अक्टूबर जो कि उनका जन्म दिवस है को राज्य भर में युवा पुनर्जागरण दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई. इसके अलावा, राज्य सरकार ने उनके नाम पर “डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पुरस्कार” की स्थापना की. इस पुरस्कार के तहत 8 ग्राम का स्वर्ण पदक और 5 लाख रुपये नगद दिया जाता है. यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है, जो वैज्ञानिक विकास, मानविकी और छात्रों के कल्याण को बढ़ावा देने का काम करते हैं.
- यही नहीं, 15 अक्टूबर, 2015 को डॉ. कलाम के जन्म की 84वीं वर्षगांठ पर, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नई दिल्ली में डीआरडीओ भवन में डॉ. कलाम की याद में डाक टिकट जारी किया.
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा लिखी गई प्रमुख पुस्तकें
- इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम (India 2020: A Vision for the New Millennium) (1998)
- विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी (Wings of Fire: An Autobiography) (1999)
- इगनाइटेड माइंड्स: अनलीजिंग द पॉवर विदिन इंडिया (Ignited Minds: Unleasing the Power Within India) (2002)
- द ल्यूमिनस स्पार्क्स: ए बायोग्राफी इन वर्स एंड कलर्स (The Luminous Sparks: A Biography in Verse and Colours) (2004)
- मिशन ऑफ इंडिया: ए विजन ऑफ इंडियन यूथ (Mission of India: A Vision of Indian Youth) (2005)
- इन्स्पायरिंग थॉट्स: कोटेशन सीरिज (Inspiring Thoughts: Quotation Series) (2007)
- यू आर बोर्न टू ब्लॉसम: टेक माई जर्नी बियोंड (You Are Born to Blossam: Take My Journey Beyond) (सह-लेखक: अरूण तिवारी) (2011)
- द साइंटिफिक इंडियन: ए ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी गाइड टू द वर्ल्ड अराउंड अस (The Scientific India: A Twenty First Century Guide to the World Around Us) (सह-लेखक: वाई. एस. राजन) (2011)
- टारगेट 3 बिलियन (Target 3 Billion) (सह-लेखक: श्रीजन पाल सिंह) (2011)
- टर्निंग पॉइंट्स: ए जर्नी थ्रू चैलेंजेस (Turning Points: A Journey Through Challenges) (2012)
- माई जर्नी: ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इन्टू एक्शंस (My Journey: Transforming Dreams into Actions) (2013)
- मैनीफेस्टो फॉर चेंज (Manifesto For Change) (सह-लेखक: वी. पोनराज) (2014)
- फोर्ज योर फ्यूचर: केन्डिड, फोर्थराइट, इन्स्पायरिंग (Forge Your Future: Candid, Forthright, Inspiring) (2014)
- बियॉन्ड 2020: ए विजन फॉर टुमोरोज इंडिया (Beyond 2020: A Vision for Tomorrow’s India) (2014)
- गवर्नेंस फॉर ग्रोथ इन इंडिया (Governance for Growth in India) (2014)
- रिग्नाइटेड: साइंटिफिक पाथवेज टू ए ब्राइटर फ्यूचर (Reignited: Scientific Pathways to a Brighter Future) (सह-लेखक: श्रीजन पाल सिंह) (2015)
- द फैमिली एंड द नेशन (The Family and the Nation) (सह-लेखक: आचार्य महाप्रज्ञा) (2015)
ट्रांसेडेंस माई स्प्रिचुअल एक्सपीरिएंसेज (Transcendence My Spiritual Experiences) (सह-लेखक: अरूण तिवारी) (2015)
चिंतनपरक रचनायें
इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग द पावर विदीन इंडिया : (पेंग्विन बुक्स, 2003) ISBN 0-14-302982-7
इंडिया- माय-ड्रीम : (एक्सेल बुक्स, 2004) ISBN 81-7446-350-X
एनविजनिंग अन एमपावर्ड नेशन: टेक्नालजी फार सोसायटल ट्रांसफारमेशन : (टाटा मैक्ग्राहिल प्रकाशन, 2004) ISBN 0-07-053154-4
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: आत्मकथाएँ
- इटरनल क्वेस्ट: जीवन और टाइम्स ऑफ डॉ कलाम ( Eternal Quest: Life and Times of Dr. Kalam ) (लेखक: एस चंद्र)
- राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम (President A.P.J. Abdul Kalam) (लेखक: आरके प्रूथी)
- महात्मा अब्दुल कलाम के साथ मेरे दिन (My Days With Mahatma Abdul Kalam) (लेखक: फ्रेट ए.के. जॉर्ज)
- डॉ. ए. पी.जे अब्दुल कलाम: भारत के विजनरी ( A.P.J.Abdul Kalam: The Visionary of India) (लेखक: के. भूषण और जी कैट्याल)
- ए लिटिल ड्रीम (A Little Dream) (Documentary film) (पी. धनपाल द्वारा)
- कलाम प्रभाव: राष्ट्रपति के साथ के मेरे वर्ष ( The Kalam Effect: My Years with the President) (लेखक: पी.एम. नायर)
आखिरी समय
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मृत्यु के तुरंत बाद कलाम के शरीर को भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर से शिलांग से गुवाहाटी लाया गया। जहाँ से अगले दिन 28 जुलाई को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का पार्थिव शरीर मंगलवार दोपहर वायुसेना के विमान सी-130जे हरक्यूलिस से दिल्ली लाया गया। लगभग 12:15 पर विमान पालम हवाईअड्डे पर उतरा। सुरक्षा बलों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ कलाम के पार्थिव शरीर को विमान से उतारा। वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल व तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इसकी अगवानी की और कलाम के पार्थिव शरीर पर पुष्पहार अर्पित किये।
इसके बाद तिरंगे में लिपटे कलाम के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ, एक गन कैरिज में रख उनके आवास 10 राजाजी मार्ग पर ले जाया गया। [30] यहाँ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित अनेक गणमान्य लोगों ने इन्हें श्रद्धांजलि दी। भारत सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन के मौके पर उनके सम्मान के रूप में सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की।
29 जुलाई की सुबह वायुसेना के विमान सी-130जे से भारतीय ध्वज में लिपटे कलाम के शरीर को पालम एयर बेस पर ले जाया गया जहां से इसे मदुरै भेजा गया, विमान दोपहर तक मदुरै हवाई अड्डे पर पहुंचा। उनके शरीर को तीनों सेनाओं के प्रमुखों और राष्ट्रीय व राज्य के गणमान्य व्यक्तियों, कैबिनेट मंत्री मनोहर पर्रीकर, वेंकैया नायडू, पॉन राधाकृष्णनऔर तमिलनाडु और मेघालय के राज्यपाल के॰ रोसैया और वी॰ षडमुखनाथन ने हवाई अड्डे पर प्राप्त किया। एक संक्षिप्त समारोह के बाद कलाम के शरीर को एक वायु सेना के हेलिकॉप्टर में मंडपम भेजा गया। मंडपम से कलाम के शरीर को उनके गृह नगर रामेश्वरम एक आर्मी ट्रक में भेजा गया। अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए उनके शरीर को स्थानीय बस स्टेशन के सामने एक खुले क्षेत्र में प्रदर्शित किया गया ताकि जनता उन्हें आखिरी श्रद्धांजलि दे सके।
30 जुलाई 2015 को पूर्व राष्ट्रपति को पूरे सम्मान के साथ रामेश्वरम के पी करूम्बु ग्राउंड में दफ़ना दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी, तमिलनाडु के राज्यपाल और कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों सहित 3,50,000 से अधिक लोगों ने अंतिम संस्कार में भाग लिया।
अब्दुल कलाम का निधन
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कलाम के निधन से देश भर में और सोशल मीडिया में पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि देने के लिये अनेक कार्य किये गए। भारत सरकार ने कलाम को सम्मान देने के लिए सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की।[37] राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक व्यक्त किया।[38] प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "उनका (कलाम का) निधन वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है। वह भारत को महान ऊंचाइयों पर ले गए। उन्होंने हमें मार्ग दिखाया।" पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जिन्होंने कलाम के साथ प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की थी[39]। उन्होंने कहा, "उनकी मृत्यु के साथ हमारे देश ने एक महान मनुष्य को खोया है जिसने, हमारे देश की रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया है। मैंने प्रधानमंत्री के रूप में कलाम के साथ बहुत निकटता से काम किया है। मुझे हमारे देश के राष्ट्रपति के रूप में उनकी सलाह से लाभ हुआ। उनका जीवन और काम आने वाली पीढ़ियों तक याद किया जाएगा।
दलाई लामा ने अपनी संवेदना और प्रार्थना व्यक्त की और कलाम की मौत को "एक अपूरणीय क्षति" बुला, अपना दुख व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा, "अनेक वर्षों में, मुझे कई अवसरों पर कलाम के साथ बातचीत करने का मौका मिला। वह एक महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद और राजनेता ही नहीं, बल्कि वे एक वास्तविक सज्जन थे, और हमेशा मैंने उनकी सादगी
और विनम्रता की प्रशंसा की है। मैंने सामान्य हितों के विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर हमारी चर्चाओं का आनंद लिया, लेकिन विज्ञान, अध्यात्म और शिक्षा के साथ मुख्य रूप से हमारे बीच चिंतन किया जाता था।
दक्षिण एशियाई नेताओं ने अपनी संवेदना व्यक्त की और दिवंगत राजनेता की सराहना की। भूटान सरकार ने कलाम की मौत के शोक के लिए देश के झंडे को आधी ऊंचाई पर फहराने के लिए आदेश दिया, और श्रद्धांजलि में 1000 मक्खन के दीपक की भेंट किए। भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने कलाम के प्रति अपना गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, "वे एक महान नेता थे जिनकी सभी ने प्रशंसा की विशेषकर भारत के युवाओं के वे प्रशंसनीय नेता थे जिन्हें वे जनता का राष्ट्रपति बुलाते थे
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उनकी व्याख्या करते हुए कहा, "एक महान राजनेता प्रशंसित वैज्ञानिक और दक्षिण एशिया के युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत के संयोग" उन्होंने कलाम की मृत्यु को "भारत के लिए अपूरणीय क्षति से भी परे बताया।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत के सबसे प्रसिद्ध बेटे, पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर हमें गहरा झटका लगा है। ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम अपने समय के सबसे महान ज्ञानियों में से एक थे। वह बांग्लादेश में भी बहुत सम्मानित थे। उनकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की वृद्धि करने के लिए अमूल्य योगदान के लिए वे सभी के द्वारा हमेशा याद किये जायेंगे। वे दक्षिण एशिया की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत थे जो उनके सपनों को पंख देते थे।" बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख खालिदा जिया ने कहा, "एक परमाणु वैज्ञानिक के रूप में, उन्होंने लोगों के कल्याण में स्वयं को समर्पित किया।"अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, ने कलाम को, "लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणादायक शख्सियत बताया" ये नोट करते हुए "हमे अपने जीवन से बहुत कुछ सीखना है।" नेपाली प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने भारत के लिए कलाम के वैज्ञानिक योगदानों को याद किया। "नेपाल ने एक अच्छा दोस्त खो दिया है और मैंने एक सम्मानित और आदर्श व्यक्तित्व को खो दिया है।" पाकिस्तान के राष्ट्रपति, ममनून हुसैन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर उनके प्रति दु: ख, शोक व संवेदना व्यक्त की।
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने कहा, "कलाम दृढ़ विश्वास और अदम्य भावना के आदमी थे। मैंने उन्हें दुनिया के एक उत्कृष्ट राजनेता के रूप में देखा था। उनकी मौत भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति है।
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुसीलो बम्बनग युधोयोनो, मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजाक, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सियन लूंग , संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नहयान सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय नेताओं, , और संयुक्त अरब अमीरात के प्रधानमंत्री और दुबई के शासक ने भी कलाम को श्रद्धांजलि अर्पित की। रूसी राष्ट्रपति
व्लादिमीर पुतिन ने भारत सरकार, भारत के सभी लोगों के लिए और मृतक नेता ले प्रियजनों के लिए अपनी गंभीर संवेदना व्यक्त की और अपनी सहानुभूति और समर्थन से अवगत कराते हुए कहा, "कलाम को हमारे देशों के बीच लगातार मैत्रीपूर्ण संबंधों के एक प्रतिपादक के रूप में याद किया जाएगा, उन्होंने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के लिए व्यक्तिगत योगदान दिया। उन्होंने पारस्परिक रूप से लाभप्रद रूसी-भारतीय सहयोग जोड़ने के लिए बहुत कुछ कियासंयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा," अमेरिकी लोगों की ओर से, मैं पूर्व भारतीय राष्ट्रपति ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम के निधन पर भारत के लोगों के लिए अपनी गहरी संवेदना का विस्तार करना चाहता हूँ। एक वैज्ञानिक और राजनेता, कलाम ने अपनी विनम्रता से घर में और विदेशों में सम्मान कमाया और भारत के सबसे महान नेताओं में से एक बने। भारत-अमेरिका के मजबूत संबंधों के लिए, डा कलाम ने सदा वकालत की। 1962 में संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा के दौरान नासा के साथ अंतरिक्ष सहयोग को गहरा करने के लिए काम किया। भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में इनके कार्यकाल के दौरान अमेरिका-भारत संबंधों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई। उपयुक्त रूप से नामित "पीपुल्स प्रेसिडेंट" (जनता के राष्ट्रपति) ने सार्वजनिक सेवा, विनम्रता और समर्पण से दुनिया भर के लाखों भारतीयों और प्रशंसकों को एक प्रेरणा प्रदान की।
जानिए कलाम के बारे में 10 खास बातें:
1. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ.
2. पेशे से नाविक कलाम के पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे. ये मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे. पांच भाई और पांच बहनों वाले परिवार को चलाने के लिए पिता के पैसे कम पड़ जाते थे इसलिए शुरुआती शिक्षा जारी रखने के लिए कलाम को अखबार बेचने का काम भी करना पड़ा.
4. आठ साल की उम्र से ही कलाम सुबह 4 बचे उठते थे और नहा कर गणित की पढ़ाई करने चले जाते थे. सुबह नहा कर जाने के पीछे कारण यह था कि प्रत्येक साल पांच बच्चों को मुफ्त में गणित पढ़ाने वाले उनके टीचर बिना नहाए आए बच्चों को नहीं पढ़ाते थे. ट्यूशन से आने के बाद वो नमाज पढ़ते और इसके बाद वो सुबह आठ बजे तक रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर न्यूज पेपर बांटते थे.
5. कलाम ‘एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी’ में आने के पीछे अपनी पांचवी क्लास के टीचर सुब्रह्मण्यम अय्यर को बताते हैं. वो कहते हैं, ‘वो हमारे अच्छे टीचर्स में से थे. एक बार उन्होंने क्लास में पूछा कि चिड़िया कैसे उड़ती है? क्लास के किसी छात्र ने इसका उत्तर नहीं दिया तो अगले दिन वो सभी बच्चों को समुद्र के किनारे ले गए. वहां कई पक्षी उड़ रहे थे. कुछ समुद्र किनारे उतर रहे थे तो कुछ बैठे थे. वहां उन्होंने हमें पक्षी के उड़ने के पीछे के कारण को समझाया साथ ही पक्षियों के शरीर की बनावट को भी विस्तार पूर्वक बताया जो उड़ने में सहायक होता है. उनके द्वारा समझाई गई ये बातें मेरे अंदर इस कदर समा गई कि मुझे हमेशा महसूस होने लगा कि मैं रामेश्वरम के समुद्र तट पर हूं और उस दिन की घटना ने मुझे जिंदगी का लक्ष्य निर्धारित करने की प्रेरणा दी. बाद में मैंने तय किया कि उड़ान की दिशा में ही अपना करियर बनाउं. मैंने बाद में फिजिक्स की पढ़ाई की और मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की.’
6. 1962 में कलाम इसरो में पहुंचे. इन्हीं के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया. 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया. कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया. उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें भारतीय तकनीक से बनाईं.
7. 1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे. इस दौरान वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया. कलाम ने विजन 2020 दिया. इसके तहत कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के जरिए 2020 तक अत्याधुनिक करने की खास सोच दी गई. कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे.
8. 1982 में कलाम को डीआरडीएल (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री) का डायरेक्टर बनाया गया. उसी दौरान अन्ना यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया. कलाम ने तब रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वीएस अरुणाचलम के साथ इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) का प्रस्ताव तैयार किया. स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिए कलाम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई.
9. इसके पहले चरण में जमीन से जमीन पर मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल बनाने पर जोर था. दूसरे चरण में जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, टैंकभेदी मिसाइल और रिएंट्री एक्सपेरिमेंट लॉन्च वेहिकल (रेक्स) बनाने का प्रस्ताव था. पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग नाम के मिसाइल बनाए गए. कलाम ने अपने सपने रेक्स को अग्नि नाम दिया. सबसे पहले सितंबर 1985 में त्रिशूल फिर फरवरी 1988 में पृथ्वी और मई 1989 में अग्नि का परीक्षण किया गया. इसके बाद 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई. ब्रह्मोस को धरती, आसमान और समुद्र कहीं भी दागी जा सकती है. इस सफलता के साथ ही कलाम को मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्धि मिली और उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
10. कलाम को 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण और फिर, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न प्रदान किया. भारत के सर्वोच्च पर पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं. उनसे पहले यह मुकाम सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन ने हासिल किया.
मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें
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'भारत रत्न' से नवाजे गए पूर्व राष्ट्रपति, स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का आज ही के दिन '27 जुलाई
2015' को आईआईटी गुवाहाटी में संबोधन के दौरान देहांत हो गया था। दुनिया से चले जाने के बाद भी उनके
किए गए काम, उनकी सोच और उनका संपूर्ण जीवन देश के लिए प्रेरणास्रोत है। आइए, देश के महान राष्ट्र
निर्माता के बारे में जानें कुछ बेहद रोचक बातें :
1.
डॉक्टर अब्दुल कलाम वह व्यक्ति थे जो बनना तो पायलट चाहते थे लेकिन किन्ही कारणों से पायलट नहीं बन पाए। फिर हार नहीं मानते हुए जीवन ने उनके सामने जो रखा उन्होंने उसे ही स्वीकार कर साकार कर दिखाया। उनका मानना था कि जीवन में कुछ भी यदी आप पाना चाहते हैं तो आपका बुलंद हौसला ही आपके काम आएगा।
2.
अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडू के रामेश्वरम् के एक गांव में हुआ था।
3.
अब्दुल कलाम का पूरा नाम 'अबुल पक्कीर जैनुलआबेदीन अब्दुल कलाम' था।
4.
उनके परीवार में पांच भाई और पांच बहन थी और उनके पिता मछुआरों को बोट किराए पर देकर घर चलाते थे। उनके पिता ज्यादा पढ़े-लिखे तो नहीं थे लेकिन उंची सोच वाले व्यक्ति थे। कलाम का बचपन आर्थिक तंगी में बीता।
5 . वे पढ़ने के बाद सुबह रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर समाचार पत्र एकत्र करते थे। अब्दुल कलाम अखबार लेने के बाद रामेश्वरम शहर की सड़कों पर दौड़-दौड़कर सबसे पहले उसका वितरण करते थे। बचपन में ही आत्मनिर्भर बनने की तरफ उनका यह पहला कदम था।
6. कलाम ने अपनी आरम्भिक शिक्षा रामेश्वरम् में पूरी की, सेंट जोसेफ कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।
7. 2002 में राष्ट्रपति बनने के बाद भी उनके दरवाजे सदा आमजन के लिए खुले रहते थे। कई पत्रों का जबाव तो स्वयं अपने हाथों से लिखकर देते थे।
8. देश के सर्वोच्च पद यानी 11वें राष्ट्रपति की शपथ लेने के बाद उन्होंने देश के हर वैज्ञानिक का सर फक्र से ऊंचा कर दिया।
9. कलाम को विधार्थियों के प्रति विशेष प्रेम था। जिसे देखकर संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिन को 'विधार्थी दिवस' के रुप में मनाने का निर्णय लिया।
10 . मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने वाले ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारतीय मिसाइल प्रोग्राम के जनक कहे जाते हैं।
11. अब्दुल कलाम भारत के राष्ट्र निर्माता में से एक है, उन्हें पीपुल्स प्रेसीडेंट भी कहा जाता है।
12. उनकी लिखी हुई पुस्तकें विंग्स ऑफ फायर, इंडिया 2020, इग्नाइटेड मांइड, माय जर्नी आदि है। अब्दुल कलाम को 48 यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूशन से डाक्टरेट की उपाधि मिली है।
13. भारत में अब्दुल कलाम उन चुनिंदा लोगों में से जिन्हें सभी सर्वोच्च पुरस्कार मिले। 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण, 1997 में भारत रत्न से सम्मानित हुए।
14. 27 जुलाई 2015 को आईआईटी गुवाहटी में संबोधित करते समय उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ और देश के महान राष्ट्र निर्माता का देहांत हो गया।
प्रतिक्रिया
अब्दुल कलाम के निधन पर काला रिबन दिखाता गूगल का मुख्यपृष्ठ
कलाम के निधन से देश भर में और सोशल मीडिया में पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि देने के लिये अनेक कार्य किये गए। भारत सरकार ने कलाम को सम्मान देने के लिए सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, उनका (कलाम का) निधन वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है। वह भारत को महान ऊंचाइयों पर ले गए। उन्होंने हमें मार्ग दिखाया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जिन्होंने कलाम के साथ प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की थी, ने कहा, उनकी मृत्यु के साथ हमारे देश ने एक महान मनुष्य को खोया है जिसने, हमारे देश की रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया है। मैंने प्रधानमंत्री के रूप में कलाम के साथ बहुत निकटता से काम किया है। मुझे हमारे देश के राष्ट्रपति के रूप में उनकी सलाह से लाभ हुआ। उनका जीवन और काम आने वाली पीढ़ियों तक याद किया जाएगा।
दलाई लामा ने अपनी संवेदना और प्रार्थना व्यक्त की और कलाम की मौत को एक अपूरणीय क्षति बुला, अपना दुख व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा, अनेक वर्षों में, मुझे कई अवसरों पर कलाम के साथ बातचीत करने का मौका मिला। वह एक महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद और राजनेता ही नहीं, बल्कि वे एक वास्तविक सज्जन थे, और हमेशा मैंने उनकी सादगी और विनम्रता की प्रशंसा की है। मैंने सामान्य हितों के विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर हमारी चर्चाओं का आनंद लिया, लेकिन विज्ञान, अध्यात्म और शिक्षा के साथ मुख्य रूप से हमारे बीच चिंतन किया जाता था।
दक्षिण एशियाई नेताओं ने अपनी संवेदना व्यक्त की और दिवंगत राजनेता की सराहना की। भूटान सरकार ने कलाम की मौत के शोक के लिए देश के झंडे को आधी ऊंचाई पर फहराने के लिए आदेश दिया, और श्रद्धांजलि में 1000 मक्खन के दीपक की भेंट किए। भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने कलाम के प्रति अपना गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, वे एक महान नेता थे जिनकी सभी ने प्रशंसा की विशेषकर भारत के युवाओं के वे प्रशंसनीय नेता थे जिन्हें वे जनता का राष्ट्रपति बुलाते थे।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उनकी व्याख्या करते हुए कहा, एक महान राजनेता प्रशंसित वैज्ञानिक और दक्षिण एशिया के युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत के संयोग उन्होंने कलाम की मृत्यु को भारत के लिए अपूरणीय क्षति से भी परे बताया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के सबसे प्रसिद्ध बेटे, पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर हमें गहरा झटका लगा है। ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम अपने समय के सबसे महान ज्ञानियों में से एक थे। वह बांग्लादेश में भी बहुत सम्मानित थे। उनकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की वृद्धि करने के लिए अमूल्य योगदान के लिए वे सभी के द्वारा हमेशा याद किये जायेंगे। वे दक्षिण एशिया की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत थे जो उनके सपनों को पंख देते थे। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख खालिदा जिया ने कहा, एक परमाणु वैज्ञानिक के रूप में, उन्होंने लोगों के कल्याण में स्वयं को समर्पित किया। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, ने कलाम को, लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणादायक शख्सियत बताया ये नोट करते हुए हमे अपने जीवन से बहुत कुछ सीखना है। नेपाली प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने भारत के लिए कलाम के वैज्ञानिक योगदानों को याद किया। नेपाल ने एक अच्छा दोस्त खो दिया है और मैंने एक सम्मानित और आदर्श व्यक्तित्व को खो दिया है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति , ममनून हुसैन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर उनके प्रति दु: ख, शोक व संवेदना व्यक्त की।
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने कहा, कलाम दृढ़ विश्वास और अदम्य भावना के आदमी थे। मैंने उन्हें दुनिया के एक उत्कृष्ट राजनेता के रूप में देखा था। उनकी मौत भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति है।
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुसीलो बम्बनग युधोयोनो, मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजाक, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सियन लूंग , संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नहयान सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय नेताओं, , और संयुक्त अरब अमीरात के प्रधानमंत्री और दुबई के शासक ने भी कलाम को श्रद्धांजलि अर्पित की। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत सरकार, भारत के सभी लोगों के लिए और मृतक नेता ले प्रियजनों के लिए अपनी गंभीर संवेदना व्यक्त की और अपनी सहानुभूति और समर्थन से अवगत कराते हुए कहा, कलाम को हमारे देशों के बीच लगातार मैत्रीपूर्ण संबंधों के एक प्रतिपादक के रूप में याद किया जाएगा, उन्होंने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के लिए व्यक्तिगत योगदान दिया। उन्होंने पारस्परिक रूप से लाभप्रद रूसी-भारतीय सहयोग जोड़ने के लिए बहुत कुछ किया।
संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा, अमेरिकी लोगों की ओर से, मैं पूर्व भारतीय राष्ट्रपति ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम के निधन पर भारत के लोगों के लिए अपनी गहरी संवेदना का विस्तार करना चाहता हूँ। एक वैज्ञानिक और राजनेता, कलाम ने अपनी विनम्रता से घर में और विदेशों में सम्मान कमाया और भारत के सबसे महान नेताओं में से एक बने। भारत-अमेरिका के मजबूत संबंधों के लिए, डा कलाम ने सदा वकालत की। 1962 में संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा के दौरान नासा के साथ अंतरिक्ष सहयोग को गहरा करने के लिए काम किया। भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में इनके कार्यकाल के दौरान अमेरिका-भारत संबंधों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई। उपयुक्त रूप से नामित पीपुल्स प्रेसिडेंट (जनता के राष्ट्रपति) ने सार्वजनिक सेवा, विनम्रता और समर्पण से दुनिया भर के लाखों भारतीयों और प्रशंसकों को एक प्रेरणा प्रदान की।
मैं यह बहुत गर्वोक्ति पूर्वक तो नहीं कह सकता कि मेरा जीवन किसी के लिये आदर्श बन सकता है; लेकिन जिस तरह मेरी नियति ने आकार ग्रहण किया उससे किसी ऐसे गरीब बच्चे को सांत्वना अवश्य मिलेगी जो किसी छोटी सी जगह पर सुविधाहीन सामजिक दशाओं में रह रहा हो। शायद यह ऐसे बच्चों को उनके पिछड़ेपन और निराशा की भावनाओं से विमुक्त होने में अवश्य सहायता करे।
सूक्तियाँ - अब्दुल कलाम
एक बेहद गरीब परिवार से होने के बावजूद अपनी मेहनत और समर्पण के बल पर बड़े से बड़े सपनो को साकार करने का एक जीता-जागता प्रमाण हैं।
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