भगत सिंह के सपनों का भारत
आइये आपको बताते हैं उनके वह कुछ नारे व विचार जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला कर रख दी थी
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है
वक्त आने पर बता देंगे तुझे ए आसमां
हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है..
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान
मैं एक ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी आजाद है- भगत सिंह
जो भी व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी,उसमे अविश्वास करना होगा तथा उसे चुनौती देनी होगी-भगत सिंह जी
देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं हमें पागल ही रहने दो हम पागल ही अच्छे है- भगत सिंह जी
क्रांति मानव जाती का एक परिहार्य अधिकार है स्वतंत्रता सभी का एक कभी न खत्म होने वाला जन्म सिद्ध अधिकार है।श्रम का वास्तविक निर्वाहक है- भगत सिंह
जिन्दगी तो अपने दम पर ही जी जाती। है,दूसरों के कंधों पर तो जनाजे उठाये जाते हैं- भगत सिंह
वे मुझे मार सकते हैं,लेकिन वे मेरे विचारों को नही मार सकते,वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, मेरी आत्मा को नही -भगत सिंह
मैं एक इंसान हूँ और जो भी चीजें इंसानियत पर प्रभाव डालती हैं,मुझे उनसे फर्क पड़ता है -भगत सिंह
जानिए भगत सिंह के जीवन से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें
शहीद भगत सिंह (Bhagat Singh) का जन्म पंजाब प्रांत के लायपुर जिले के बंगा में हुआ था. इस बार उनकी 113वीं जन्म जयंती मनाई जा रही है. भगत सिंह ने नौजवानों के दिलों में आजादी का उमंग भरा था. उन्होंने 23 साल की उम्र में देश के लिए अपनी जान दे दी थी.
महात्मा गांधी ने जब साल 1922 में चौरीचौरा कांड के बाद असहयोग आंदोलन को समाप्त करने की घोषणा की तो भगत सिंह का अहिंसावादी विचारधारा से मोहभंग हो गया था. उन्होंने साल 1926 में देश की आजादी हेतु नौजवान भारत सभा की स्थापना की.
भगत सिंह का जन्म 27/28 सितंबर 1907 को लायपुर जिले के बंगा में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है.
भगत सिंह ने 14 वर्ष की आयु में ही सरकारी स्कूलों की पुस्तकें और कपड़े जला दिये. इसके बाद इनके पोस्टर गांवों में छपने लगे थे.
परिजनों ने जब भगत सिंह की शादी करवानी चाही तो वे घर छोड़कर भाग गये. उन्होंने अपने पीछे जो खत छोड़ गए उसमें लिखा कि उन्होंने अपना जीवन देश को आजाद कराने के महान काम हेतु समर्पित कर दिया है.
भगत सिंह को फिल्में देखना तथा रसगुल्ले खाना बहुत ही पसंद था. वे राजगुरु तथा यशपाल के साथ जब भी समय मिलता था, फिल्म देखने चले जाते थे.
भगत सिंह ने एक शक्तिशाली नारा ‘इंकलाब जिंदाबाद’ गढ़ा, जो भारत के सशस्त्र संघर्ष का मुख्य नारा बन गया था.
भगत सिंह का जन्म एक सिख परिवार में हुआ था, उन्होंने अपनी दाढ़ी मुंडवा ली तथा हत्या के लिए पहचाने जाने और गिरफ्तार होने से बचने हेतु अपने बाल काट लिए. वे लाहौर से कलकत्ता भागने में सफल रहे थे.
भगत सिंह ने जेल में अपनी कैद के दौरान बहुत सारे किताबें पढ़ीं. उन्हें जब फांसी दी जानी थी, उस समय वो लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे.
भगत सिंह को जिस स्थान पर फांसी दी गयी थी, आज वो स्थान पाकिस्तान में है.
भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 08 अप्रैल 1929 को केंद्रीय असेंबली में बम फेंका था. उन्होंने बम फेंकने के बाद गिरफ़्तारी दी और उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा चला गया था.
भगत सिंह को 24 मार्च 1931 को फांसी देना सुनिश्चित किया गया था, लेकिन अंग्रेज इतना डरे हुए थे कि उन्हें 11 घंटे पहले ही 23 मार्च 1931 को फांसी पर चढ़ा दिया गया था.
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Let us tell you some of his slogans and thoughts that shook the foundation of English rule
Our hearts are filled with the passion to sacrifice
See how much force is in the murderer
When the time comes, I will tell you
What can we tell from now, what is in our heart ..
Every single particle of ash is moving from my heat
I am a lunatic who is free even in jail - Bhagat Singh
Whoever stands for development will have to criticize everything, believe in it and challenge it - Bhagat Singh
People often call patriots insane, let us be mad, we are crazy only good - Bhagat Singh
Revolution is an avoidable right of the human race. Freedom is a never-ending birth right of all. The real sustainer of labor - Bhagat Singh
Life lived on its own. It is, people are raised on the shoulders of others - Bhagat Singh
They can kill me, but they cannot kill my thoughts, they can crush my body, not my soul - Bhagat Singh
I am a human being and whatever matters affect humanity, I make a difference with them - Bhagat Singh
Know 10 important things related to the life of Bhagat Singh
Shaheed Bhagat Singh (Bhagat Singh) was born in Banga, District of Laipur in Punjab province. This time his 113th birth anniversary is being celebrated. Bhagat Singh instilled freedom in the hearts of the youth. He gave his life for the country at the age of 23.
Bhagat Singh was disillusioned with non-violent ideology when Mahatma Gandhi announced the end of the Non-Cooperation Movement in 1922 after the Chauri Chaura incident. In 1926, he founded the Naujawan Bharat Sabha for the independence of the country.
Bhagat Singh was born on 27/28 September 1907 in Banga in Laipur district, now in Pakistan.
Bhagat Singh burned books and clothes of government schools at the age of 14. After this, their posters were started in the villages.
When the family wanted to get Bhagat Singh married, they left home and ran away. In the letter he left behind, he wrote that he has dedicated his life to the great work of liberating the country.
Bhagat Singh loved watching movies and eating rasgulla. He used to go to see the film with Rajguru and Yashpal whenever he had time.
Bhagat Singh coined a powerful slogan 'Inquilab Zindabad', which became the main slogan of India's armed struggle.
Bhagat Singh was born into a Sikh family, shaved off his beard and cut his hair to be identified for murder and to avoid being arrested. He was successful in escaping from Lahore to Calcutta.
Bhagat Singh read a lot of books during his imprisonment in jail. When he was to be hanged, he was reading a biography of Lenin.
The place where Bhagat Singh was hanged is today in Pakistan.
Bhagat Singh and Batukeshwar Dutt threw bombs in the Central Assembly on 08 April 1929. He was arrested after throwing the bomb and a case was filed against him.
Bhagat Singh was ensured to be hanged on 24 March 1931, but the British were so scared that he was hanged 11 hours earlier on 23 March 1931.
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