राष्ट्रनिर्माण में युवाओं की भूमिका
राष्ट्रनिर्माण में युवाओं की भूमिका ~ मोo फैसल संकल्पों के साधक हो तुम साहस भरी उड़ान हो। मुकुट तुम्ही हो भारत माँ का, तुम ही हिन्दूस्तान हो।। महावीर हो, बुद्ध तुम्ही हो, पंचतत्व के ज्ञाता हो। उठो विवेकानन्द, तुम्ही भारत के नवनिर्माता हो।। ......................................................................... कागज की नाव को छोड़ दिया हमने अब समंदर की जिम्मेदारी है अर्थात अब अपने घर अपने परिवार की ही नहीं अपितु पूरे भारत देश की पूरे राष्ट्र की जिम्मेदारी है अब हमें इसको चलाना है एक सच्चा सशक्त राष्ट्र बनाना है इसके लिए हमें अपना योगदान देना पड़ेगा तीन प्रमुख तत्व हैं जो एक राष्ट्र की प्रगति में योगदान करते हैं। ये शिक्षा, रोजगार और सशक्तिकरण हैं। जब देश के युवाओं को शिक्षित किया जाता है और उनकी शिक्षा का सही उपयोग किया जाता है, तो एक राष्ट्र एक स्थिर गति से विकसित होता है। हमारे देश में अधिकांश युवा अशिक्षित हैं। उनमें से ज्यादातर पढ़ा और लिखा नहीं जा सकता। इसलिए, अशिक्षा हमारे राष्ट्र की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। हमारे देश की